गौ-शालाओं और चारागाह की भूमि चिन्हित

प्रदेश में भूमि संबंधी मामलों के निराकरण के लिये पटवारियों की पंचायत मुख्यालय में उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। इस बारे में 23 फरवरी 2019 को विस्तृत निर्देश जारी किये गये। निर्देशों के अनुसार अब पटवारी पंचायत मुख्यालय में सप्ताह में दो दिन अनिवार्य रूप से बैठने लगे हैं। मजरों/टोलों को राजस्व ग्राम घोषित करने की नीति भी शीघ्र ही लागू की जा रही हैं। मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के प्रावधानों के अंतर्गत भू-लेख पोर्टल पर वर्तमान राजस्व ग्राम से मजरा/टोला को विभाजित कर नये राजस्व ग्राम बनाये जाने की रूपरेखा तैयार की गई है।
प्रदेश के प्रत्येक जिले में गौ-शाला और गायों के लिये चारागाह की भूमि चिन्हित कर उसे आरक्षित कर दिया गया है। सभी कलेक्टरों को इस काम पर नजर रखने को कहा गया है। राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए राज्य सरकार ने 3 जनवरी 2019 को निर्देश जारी किये। निर्देश में कहा गया है कि आरसीएमएस पोर्टल में दर्ज प्रत्येक न्यायालयीन प्रकरण के निराकरण की नियमित समीक्षा कलेक्टर स्वयं करेंगे।