श्री शिवराज सिंह चौहान ने मार्च की 23 तारीख को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के बहुत सादे समारोह से निकल कर वे सीधे राज्य मंत्रालय पहुँचे। मंत्रालय में प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक ली। इस बैठक में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने अपनी मंशा पूरी संकल्पबद्धता और प्रतिबद्धता के साथ सबके सामने रखी। उन्होंने कहा कि इस वक्त मेरी पहली प्राथमिकता और नैतिक दायित्व है-नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण से अपने प्रदेश वासियों को पूरी सुरक्षा। उनकी सोच बहुत स्पष्ट थी कि अभी इंसान की जीवन रक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। इसका सीधा असर भी हुआ है।
अगली सुबह से ही, या यूं कहें कि उस क्षण से ही समूचा प्रशासन सक्रिय हो गया। प्रदेश के मुखिया के निर्देशों का पालन शुरू हुआ। सोशल डिस्टेंसिंग को सही मायने में लागू करने के लिए भोपाल और जबलपुर में कर्फ्यू लगाया गया। डॉक्टरों ने अस्पतालों में मुस्तैदी से मोर्चा सम्हाला। संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए प्रशासनिक व्यूह-रचना बनाई गई। विभिन्न स्तरों पर भिन्न-भिन्न स्तर के अधिकारियों-कर्मचारियों को जिम्मेदारियाँ सौंपी गई। जाँच और परीक्षण की व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद किया गया। साधनों-संसाधनों को जुटाने और बढ़ाने की हर संभव कोशिशें की गई जिसके अच्छे नतीजे सामने आये। आम-आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति के लिए यथोचित फैसले लिए गए। मुख्यमंत्री स्वयं रोज स्थितियों की समीक्षा कर रहे हैं। वे स्वयं अपनी डायरी में आवश्यक जानकारियाँ लिख रहे हैं और क्रॉस चैक भी कर रहे हैं। अन्य राज्यों से, प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले और चिन्हित हॉट स्पाट में आवाजाही पर कड़ा नियंत्रण किया गया।
संभावितों का स्वास्थ्य परीक्षण, सैम्पल्स लेने, जाँच के लिए भेजने, संक्रमितों के इलाज, आशंका होने पर क्वेरेंटाइन किये जाने की कार्यवाही युद्ध स्तर पर शुरू हो गई। विदेशों से बड़ी संख्या में आने वाले व्यक्तियों की सूचियां भी तैयार की गई।
इन प्रभावकारी कदमों के बीच, लगातार 16-18 घंटे की मेहनत और तमाम व्यस्तताओं के बीच मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान नि:संदेह ‘वन मैन आर्मी’ की तरह कार्यवाही कर रहे हैं। संकट के इन गहन क्षणों के दौर में भी मुख्यमंत्री श्री चौहान घरों से दूर रहने वाले छात्र-छात्राओं, मजदूरी करने वाले श्रमिकों, देश के अन्य राज्यों में पेट पालने के लिए गये मजदूरों-कामगारों और अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के लिए परेशान होने वाले सामान्य लोगों को भी भूले नहीं। उनका मानना था कि छोटे वर्गों और तबकों के लोगों की चिंता भी उन्हें ही करनी है।
संकट के इस समय में निरंतर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की यह संवेदनशील सोच और मानवीय पक्ष उजागर हो रहा है।
श्रमिकों के स्वास्थ्य परीक्षण पश्चात् करीब 15,000 व्यक्ति विभिन्न जिलों में कैंपों में आईसोलेट किये गये हैं। प्रदेश में अन्य प्रदेशों से लौटे श्रमिकों की टेस्टिंग कराई गई है और सुखद बात यह है कि इनमें से एक भी श्रमिक कोरोना पॉजिटिव नहीं पाया गया है। इन सभी के लिए 2792 स्थानों पर रूकने की और 4671 स्थानों पर भोजन आदि की व्यवस्था की गयी है। प्रदेश में लगभग 10,000 भोजन सामग्री के वितरण केन्द्र बनाये गये हैं। प्रतिदिन 5 लाख 50 हजार से अधिक व्यक्तियों को पके हुए भोजन के पैकेट्स और 50 से 70 हजार लोगों को भोजन सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश के सभी जिलों में प्रवासी श्रमिकों, गरीबों, असहायों, निराश्रितों आदि के लिए भोजन पैकेट्स बनाकर वितरण करने में सामाजिक संस्थाओं का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।
इसी तरह मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में 66 लाख 27 हजार विद्यार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ते के रूप में 117 करोड़ रूपए की राशि अभिभावकों के खाते में अंतरित की गई। मध्यान्ह भोजन बनाने वाले 2 लाख 10 हजार 154 से ज्यादा रसोइयों के खाते में दो हजार रुपये प्रति रसोईये के मान से कुल राशि 42 करोड़ 3 लाख 8 हजार रूपये अंतरित की गई है। प्रदेश की प्राथमिक शालाओं में दर्ज विद्यार्थियों की संख्या 40 लाख 29 हजार 468 विद्यार्थियों को 148 रुपये प्रति विद्यार्थी के मान से मध्यान्ह भोजन की राशि दी गई है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से लॉकडाउन के कारण उनके प्रदेश में रूके मध्यप्रदेश के मजदूरों के रूकने एवं राशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए चर्चा की है। प्रदेश के सांसदों और विधायकों से उनके क्षेत्र के ऐसे प्रभावित मजदूरों की सूची शीघ्र भेजने के लिए कहा गया है। जैसे-जैसे सूची आती जायेगी, यह राशि उन मजदूरों के खातो में हस्तांतरित कर दी जायेगी।
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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश में फंसे 22 राज्यों के 7 हजार प्रवासी श्रमिकों के भोजन, आवास आदि की सारी व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार कर रही है। मध्यप्रदेश के ऐसे 245 निर्माण श्रमिक, जिनका पंजीयन नहीं हुआ हैं, उन्हें भी एक-एक हजार रूपए की राशि अंतरित की गई है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर राज्य शासन ने कोरोना महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन की स्थिति में अन्य राज्यों में रूके मध्यप्रदेशवासियों की बुनियादी सुविधाओं संबंधी समस्याओं के निराकरण के लिये भारतीय प्रशासनिक सेवा के सात अधिकारियों को अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी है। संबंधित अधिकारी आवंटित राज्यों में मध्यप्रदेश के रूके हुए नागरिकों की भोजन-आश्रय आदि की उपलब्धता के संबंध में प्राप्त शिकायतों को टेलीफोन के माध्यम से संबंधित राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारीगण/आवासीय आयुक्त अथवा जिला प्रशासन के अधिकारियों से चर्चा कर निराकरण सुनिश्चित करेंगे।
मुख्यमंत्री जी की पहल पर प्रदेश में राज्य-स्तरीय कोरोना रूम स्थापित करने केय आदेश के बाद महज दो दिन में नगरीय प्रशासन के लगभग 450 कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर स्मार्ट सिअी कोर्पोरेशन, भोपाल के इंट्रीगेटेड कमांड एण्ड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) को इसका बिन्दु बनाया गया।
इस नियंत्रण कक्ष को यह दायित्व दिया गया है कि विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होने वाली नागरिकों और प्रवासियों की विभिन्न प्रकार की समस्याओं का पंजीयन करेंगे और प्रादेशिक अधिकारियों के साथ-साथ संबंधित राज्य के वरिष्ठा अधिकारियों, जिला मजिस्ट्रेटों और आवासीय आयुक्तों से सम्पर्क स्थापित कर समस्याओं का निराकरण करेंगे। राज्य शासन के माध्यम से मीडिया में सीएम हेल्पलाइन, व्हाट्सएप नम्बर प्रचारित किया गया।
समस्त प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को अद्र्ध-शासकीय पत्र केा माध्यम से प्रवासी मध्यप्रदेश के निवासियों को भोजन, राशन, चिकित्सा, आवास आदि की आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया । इसके साथ ही, उनके प्रदेश के मध्यप्रदेश में फंसे हुए ऐसे निवासियों को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया गया।
पिछले 21-22 दिनों में प्रतिदिन 17000 व्यक्तियों द्वारा सम्पर्क किया गया तथा 1 लाख 18 हजार मध्यप्रदेश के ऐसे निवासी जो अन्य राज्यों में हैं उनसे संपर्क कर समस्त सुविधाएँ राज्य-स्तरीय कंट्रोल सेंटर के माध्यम से राज्य के नौ वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारियों द्वारा कराई गई। अन्य प्रदेशों के लगभग 12000 नागरिकों को प्रदेश में समस्त सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई।
मध्यप्रदेश के नागरिक तथा प्रवासी अन्य राज्यों के नागरिक जो अपने निवास स्थान पर नहीं हैं, उनको लगभग 5 लाख 80 हजार भोजन पैकेट शासन की विभिन्न संस्थाओं तथा स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा प्रतिदिन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।